Monday 20 February 2012

गठबंधन सरकार- चित भी मेरी - पट भी मेरी.... !!!

पिछले दिनों एक बार फिर राजनीती और राजनेताओ का घिनोना चेहरा सामने आया....
यु-पी में अभी तीन चरण के मतदान हुए ही थे.. की नेताओ ने अपनी-अपनी महत्वकानशाएं धीमे सुरों में ही सही पर जनता के सामने रखना शुरू कर दिया....

सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के ब्यान की बीजेपी अगर उत्तर -प्रदेश में आगे बढ़ी तो वो धर्मवाद को रोकने के लिए अपनी पार्टी का समर्थन कांग्रेस को देने में जरा भी नहीं हिचकिचाएंगे कई सवाल पैदा करता है.....

पहला-- दोनों ही दल मुसलमानों के हित की बात करते है.. पर साथ ही पहले बनी अपनी गठबंधन सरकार को सबसे बड़ी गलती के रूप में मानने से भी नहीं मुकरते....
ऐसे में अगर कोई पार्टी पूर्ण बहुमत ना जीत पायी तो क्या ये फिर एक होकर गठबंधन सरकार बनायेंगे...??

दूसरा-- जिस तरह कांग्रेस महा सचिव राहुल गाँधी अपनी रेलियों में बाकी सभी पार्टियों को उत्तर प्रदेश की तबाही का ज़िम्मेदार बता रहे हैं... उनके वादों के पर्चे फाड़ रहे हैं... ऐसे में क्या कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने के लिए इनमे से किसी का समर्थन लेगी....??

तीसरा सवाल उत्तर -प्रदेश की जनता से जुढ़ा है.. जिसके साथ हमेशा विश्वास-घात हुआ... क्या एस तरह का ब्यान उनके विश्वास को और कमजोर नहीं करेगा... आम आदमी निराश हैं - वो सबको परख चूका हैं... और इस बार एक ऐसी सरकार चाहता है जो राज्य में विकास करे... ऐसे में गठबंधन सरकार का बनना क्या उसके कीमती वोट का अपमान ना माना जाए...??

इस बार यू-पी चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ... आम आदमी घर से बाहर आया- उसकी सिर्फ एक मांग है- तरक्की और विकास... जिसके लिए वो अपना वोट किसी एक पार्टी के हक़ में डालना चाहता है.. पर जानकारों की माने तो इस बार कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत से आगे बढती नहीं दिख रही...
ऐसे में क्या राज्य में गठबंधन सरकार का बनना तय माना जाए......

सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह के ब्यान पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना की - हम समर्थन ले सकते हैं पर देंगे नहीं... आम आदमी के गले नहीं उतर रहा... उन्होंने एक टेलीविजन चैनल पर कहा की ये सब कुछ 5 मार्च को नतीजे आने के बाद ही तय होगा... उनसे पूछने पर की क्या पूर्ण बहुमत ना मिलने की स्थिति में वो विपक्ष में बैठना मंजूर करेंगे.. उन्होंने कोई भी जवाब देने से इंकार कर दिया.....

अब बात आती है आम आदमी की... मान लीजिये मैं सपा और बसपा दोनों की ही सरकार से नाखुश हूँ... और जिस तरह कांग्रेसी नेता विकास की बात कर रहे हैं... 22 साल बाद उन्हें एक बार फिर मौका देना चाहता हूँ सरकार बनाने का.... ऐसे मे अगर चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस ने सपा का समर्थन लिया... तो मेरी- यानी आम आदमी की फिरसे हार ही होगी..... 5 साल वो मिलकर उत्तर-प्रदेश मे राज करेंगे और अगले चुनाव आने पर फिर राज्य की हालत का ज़िम्मेदार एक-दुसरे को ठहराएंगे...
आम आदमी- जहाँ आज खड़ा है वहीँ आज से 5 साल बाद भी होगा......!!!!

अगर ये सब राजनीती दल आम आदमी के इतने ही हितेषी हैं, तो चुनाव से पहले ही क्यूँ वो अपना स्थान और अपनी मंशा जनता के सामने जाहिर नहीं करते.....
जिस पार्टी का विरोध करके वो सत्ता मे आना चाहते हैं... बाद मे सत्ता ना मिलने पर उसी पार्टी से हाथ मिला लेना किस तरह वो सही साबित करेंगे...
ये कई सवाल हैं जो एक साफ़ राजनीती और वोटो की राजनीती मे बढ़ा अंतर पैदा करते हैं....

इन्हे जनता को जवाब देना ही होगा... पूर्व गठबंधन राजनीती का एक साफ़ चेहरा है .. और उसी तरह बाद मे गठबंधन कर लेना उस चेहरे पर कालीन पोतने से कम भी नहीं है.....
इन नेताओं को उत्तर-प्रदेश की जनता को जवाब देना ही होगा.. आखिर वो किसके साथ हैं.... विकास और आम आदमी के.... या फिर... सत्ता और राजनीती के.............???????

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